किसान बने हमाल किसान के साथ ये कैसा अत्याचार जिम्मेदार अधिकारी क्यों नहीं लेते सुध

छत्तीसगढ़ में इन दिनों धान खरीदी जोरों से चल रहा है, और किसान धान बेच भी हैं, किसानों को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए सारे इंतजाम करने के निर्देश सरकार ने दिए हैं साथ ही जिम्मेदारों को कमान भी सौंपी है कि लगातार मॉनिटरिंग करते रहें किसी प्रकार की किसानों को असुविधा न हो धान खरीदी में गड़बड़ीन हो  लेकिन रायगढ़ के धान मंडियों में किसान हमाल बन गए हैं, और जिम्मेदार मौके पर भी पहुच कर मामले से बेसुध हैं

किसान बने  हमाल

किसानों के साथ ये कैसा अत्याचार

जिम्मेदार अधिकारी क्यों नहीं लेते सूध

जब किसान कर रहे हैं हमाल का काम तो कहां जाता हमाल का पैसा

मंडी प्रबंधक की मनमानी से किसान परेशान

मौके पर पहुंचे सरकार के जिम्मेदार नहीं देते ध्यान

प्रबंधक कह रहे किसानों की सहमति से हो रहा काम

कब होगा किसानों के साथ न्याय

घर से तराजू लेकर किसान पहुंच रहे मंडी

मंडी में नहीं है तराजू की व्यवस्था


धान खरीदी केंद्र  सराईटोला, खम्हरिया धान मंडी में स्थिती ठीक ठाक थी, लेकिन घरघोड़ी और कुडुमकेला मंडी में ,किसान हमाल बने हुए थे,  जिन किसानों को धान लाकर मंडी में बोरियों में भरना होता है वो यहाँ बोरा में धान भरने के साथ वजन ,सिलाई और बोरी कंधे के साथ पीठ में उठाकर थप्पी लगा रहे थे, किसानों ने बताया कि ऐसा पहली बार नहीं है वर्षों से परंपरा चली आ रही है किसान घर से मजदूर लेकर आते हैं और यहां अपना पूरा काम करते हैं…वहीं दूसरी तस्वीर घरघोड़ी मंडी की है जहां किसान घर से मजदूर के साथ तराजू भी लेकर पहुंचे थे, मंडी में काम कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि मंडी में तीन तराजू है, किसानों को असुविधा ना हो इसलिए घर से तराजू मंगा लिए  हैं, इतना ही नहीं किसानों से धान भी 41 किलो 200 ग्राम तौलवाया  जा रहा था, ऐसा नहीं की यहां कोई सरकारी जिम्मेदार अधिकारी ना हो, मौके पर कृषि विस्तार अधिकारी और पटवारी भी थे और उनके संरक्षण में सारा काम हो रहा था… कुडूमकेला  के धान मंडी में पहुंचेे मंडी विभाग के कर्मचारी  से किसानों को हमाल बनाने और  बदले में राशि भुगतान करने को लेकर  सवाल किया गया तो उनका कहना था कि, हमलों की कमी के कारण यह हो सकता है और यदि हमाल नहीं मिल पाए तो जिन किसानों से तौल कराते हैं उनको पैसे देते हैं, और इसके बारे में समिति प्रबंधक ज्यादा अच्छा से बता पाएंगे मैं बोरा का सत्यापन कर रही हूं… समिति के प्रबंधक कन्हैयालाल साव बार-बार निवेदन करते नजर आए और उनका कहना है कि कंप्रोमाइज से सारा काम होता है किसानों को कम करने के बदले किसी प्रकार का पैसा नहीं दिया जाता जल्दी काम करने के लिए किसान घर से मजदूर लेकर आते हैं…  धान खरीदी केंद्र पहुंचे कर्मचारी  का कहना है कि हमाल काम के बदले किसानों को पैसा दिया जाता है, समिति के प्रबंधक का कहना है कि पैसा नहीं दिया जाता है, कंप्रोमाइज से काम होता है …आखिर हम बालों के लिए आया पैसा कहां जाता है क्या कहीं वह पैसा भ्रष्टाचार का भेट चढ़ जाता है जब सारे धान खरीदी केदो में निगरानी रखने वाले शासकीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है उसके बाद भी आखिर किसने से अधिक धान क्यों लिया जाता है, साथ ही किसानों को ही हमाल क्यों बनाया जाता है जिम्मेदार इस पर ध्यान क्यों नहीं देते अब देखने वाली बात होगी की जिम्मेदार ऐसे लोगों पर किस प्रकार की कार्रवाई करते हैं और किसानों को ऐसे भ्रष्ट कर्मचारियों से राहत दिलाते हैं

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