रायगढ़ रेंज के बंगूरसिया सर्किल अंतर्गत कर्मागढ़ बिट, रानी दरहा मंदिर के समीप एक नाले पर वन विभाग द्वारा स्टॉप डैम का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया है। यह डैम जंगली पशुओं को जल उपलब्ध कराने और जल संरक्षण के उद्देश्य से बनाया जा रहा है, परंतु निर्माण की प्रारंभिक स्थिति ही कई सवालों के घेरे में आ गई है।

स्थानीय स्तर पर जानकारी जुटाने पर ज्ञात हुआ कि निर्माण कार्य में लगे मिस्री दिलीप देहरी को यह तक नहीं पता कि इस काम का ठेकेदार कौन है और उसका संपर्क सूत्र क्या है। साथ ही, वन विभाग का कोई जिम्मेदार अधिकारी कार्य स्थल पर मौजूद नहीं है, जिससे निगरानी का अभाव निर्माण की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है।
विशेषज्ञों की माने तो नाले के बीच की मिट्टी और पत्थर निकालकर, गहराई में मजबूत कालम बनाकर उसमें सरिया और लोहे की जाली डाली जाती है, ताकि डैम पानी के बहाव को रोक सके और टिकाऊ हो। लेकिन यहाँ कार्य इस प्रक्रिया का पालन किए बिना किया जा रहा है, जिससे भविष्य में डैम के टूटने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
हमारी टीम जब ग्राउंड रिपोर्ट के लिए मौके पर पहुँची, तो देखा कि कार्य की देखरेख का जिम्मा पूरी तरह गांव वालों पर छोड़ दिया गया है। देहरी, जो कार्य करवा रहा था, उसे कार्य की मात्रा, रेसियो या तकनीकी जानकारी तक नहीं थी। जब हमने वन विभाग के संबंधित अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने कॉल उठाना तक उचित नहीं समझा। इससे स्पष्ट है कि विभागीय लापरवाही चरम पर है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, रानी दरहा क्षेत्र के सौंदर्यीकरण में यह डैम सहायक हो सकता है, लेकिन निर्माण के प्रारंभिक चरण में ही गुणवत्ता पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। लोगों का मानना है कि जब शुरुआत में ही ऐसे हालात हैं, तो निर्माण पूरा होने तक “मलाईदार खेल” चलने की पूरी आशंका है।
ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि वन विभाग रायगढ़ के प्रभारी अधिकारी स्वयं मौके पर पहुंचकर निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि कार्य पूर्ण गुणवत्ता के साथ हो। क्योंकि यह डैम बार-बार नहीं बनता, और एक बार की लापरवाही वर्षों की परेशानी में बदल सकती है — जिसका खामियाजा जंगली जानवरों और आम जनता दोनों को उठाना पड़ता है।

EDITOR VS KHABAR