रायगढ़ डीएफओ रायगढ़ का रवैया तीन ज्वलंत मुद्दों पर अभी तक उदासीन है। रायगढ़ वन मंडल के घरघोड़ा में बीते दिनों 3 हाथियों की करंट से मौत हो गई। लेकिन डीएफओ ने एक बीटगार्ड को ही निलंबित कर इति श्री कर ली। दूसरी घटना देलारी की है जहां उद्योगपति ने जंगल के एक नहीं 7 मुनारे को खिसका दिया। लेकिन वन अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी। मीडिया में मामला आने और संज्ञान में लाने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई। डीएफओ ने एसडीओ को जांच करने कहा था लेकिन आलम यह है कि एसडीओ अपने ही डीएफओ के आदेश का पालन नहीं कर रहे।
सूत्रों की माने तो उद्योगपति से वन विभाग के अधिकारियों की मिली भगत होने के कारण ही कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
तीसरी घटना इसी वनमण्डल के ग्राम तिलगा – भगोरा का है। जहां रायगढ़ रेंज के ही तत्कालीन रेंजर ने विभाग के कक्ष क्रमांक 927 PF प्लांटेशन को ही कटवा दिया और जमीन पर कब्जा कर लिया। इस मामले में उच्च स्तर पर शिकायत भी हुई थी। लेकिन पूरा मामला प्रमाणित होने के बाद भी रायगढ़ डीएफओ ने कोई कार्रवाई नहीं की। डीएफओ की इसी निष्क्रियता के कारण ही रायगढ़ वन मंडल में वन्य जीव, वन भूमि और जंगल नष्ट हो रहे है। इन बड़े मामलों में भी किसी तरह की कार्रवाई न कर रायगढ़ डीएफओ की रहस्यमयी चुप्पी इन दिनों चर्चा का विषय बन गया है।
छत्तीसगढ़ की सरकार भी इस मामले किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर रही है जिसके कारण वन विभाग में भ्रष्टाचार और निष्क्रियता अपने चरम पर है।

EDITOR VS KHABAR