हमीरपुर-ओडिशा सीमा पर अवैध बालू का काला कारोबार चरम पर: तारापुर से लोड होकर खुरुसलेगा में रात के अंधेरे में हो रही बालू की ढुलाई, राजस्व को भारी चूना

हमीरपुर/ओडिशा बॉर्डर: एक ओर सरकार अवैध खनन पर रोक लगाने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है। हमीरपुर और ओडिशा की सीमा से लगे क्षेत्र में अवैध बालू परिवहन का एक संगठित और सक्रिय गिरोह खुलेआम सक्रिय है। यह पूरा नेटवर्क इतने सुनियोजित ढंग से संचालित हो रहा है कि प्रशासन की आंखों के सामने से रोजाना दर्जनों गाड़ियां गुजर जाती हैं, और कोई कार्यवाही नहीं होती।

तारापुर से लोड होकर निकलती हैं गाड़ियां, खुरुसलेगा में होती है खाली

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह अवैध बालू तारापुर क्षेत्र से रात के अंधेरे में 10 चक्का भारी वाहनों में लोड की जाती है। जैसे ही रात का सन्नाटा और अंधेरा गहराता है, गाड़ियों का काफिला ओडिशा सीमा की ओर बढ़ता है। इन वाहनों की अंतिम मंजिल खुरुसलेगा होती है, जहां जाकर बालू को ओडिशा के अंदर खाली किया जाता है।

प्रशासन की नाक के नीचे, लेकिन आंखें मूंदे हुए

इस पूरे खेल में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह अवैध गतिविधि प्रशासन की जानकारी के बिना नहीं हो सकती। रात में दर्जनों गाड़ियां बिना किसी रोकटोक के निकलती हैं, जो दर्शाता है कि या तो जिम्मेदार अधिकारी जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं, या फिर मिलीभगत का कोई गहरा खेल चल रहा है।

स्थानीयों ने रोकी थी गाड़ी, खुली पोल

कुछ दिन पूर्व क्षेत्र के जागरूक ग्रामीणों ने एक संदिग्ध 10 चक्का गाड़ी को रोककर उससे पूछताछ की। चालक ने बताया कि गाड़ी रायगढ़ निवासी घनश्याम चौहान की है। जब रॉयल्टी दिखाने की बात आई तो उसने जवाब दिया कि “रॉयल्टी आगे वाली गाड़ी में है।” इससे यह स्पष्ट होता है कि बालू का यह कारोबार अवैध रूप से हो रहा है। यदि रॉयल्टी होती, तो हर गाड़ी में वैध कागजात मौजूद होते। ऐसे में इस बात का भी अंदेशा है कि नकली रॉयल्टी या एक ही दस्तावेज़ से कई गाड़ियों का संचालन किया जा रहा है।

राजस्व को करोड़ों का नुकसान, सड़कें भी हो रही बदहाल

यह अवैध कारोबार न सिर्फ सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व से वंचित कर रहा है, बल्कि भारी वाहनों के चलते क्षेत्र की सड़कों की हालत भी दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। गांवों की गलियों से होकर गुजरती ये भारी भरकम गाड़ियां ग्रामीणों के लिए भी खतरा बन चुकी हैं।

क्या प्रशासन उठाएगा ठोस कदम?

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस संगठित गिरोह पर कार्रवाई करेगा? क्या राजस्व विभाग इस चोरी पर रोक लगाएगा? क्या खनिज विभाग अपने दायित्व का पालन करेगा या फिर यह खेल यूं ही चलता रहेगा?

स्थानीय लोगों की मांग है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। ओडिशा सीमा पर चौकसी बढ़ाई जाए, रॉयल्टी दस्तावेजों की जांच हो, और अवैध गाड़ियों को जब्त किया जाए।

यदि अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो यह अवैध बालू माफिया न केवल क्षेत्रीय शांति को प्रभावित करेगा बल्कि आने वाले समय में प्राकृतिक संसाधनों की बड़ी हानि और सामाजिक असंतुलन का कारण भी बन सकता है।

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