हमीरपुर बॉर्डर पर तूफान से गिरा स्वागत गेट, सचिव आशीष बारीक बने मसीहा — PWD विभाग पर उठे सवाल
हमीरपुर (रायगढ़), 7 मई 2025:
तेज आंधी-तूफान के चलते छत्तीसगढ़-ओड़िशा की सीमा पर स्थित हमीरपुर बॉर्डर का विशाल स्वागत गेट भरभराकर गिर गया। यह गेट ठीक आबकारी विभाग के चेक पोस्ट के पास स्थित था, जिससे मुख्य मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया और दोनों राज्यों के बीच यातायात कई घंटों तक ठप रहा।

इस गंभीर परिस्थिति में जब जिम्मेदार विभाग — PWD (लोक निर्माण विभाग) — नदारद रहा, तब ग्राम पंचायत हमीरपुर के सचिव श्री आशीष बारीक ने अपने कर्तव्य से कहीं आगे जाकर नेतृत्व दिखाया। सुबह 7 बजे से ही वे स्वयं मौके पर मौजूद रहे, हालात का जायजा लिया और बिना देर किए स्थानीय समाजसेवियों के साथ मिलकर रास्ता साफ करवाने की दिशा में कदम उठाए।
आशीष बारीक की तत्परता और जनसेवा भावना प्रशंसनीय रही। उनके प्रयासों में घुराव सारथी, उपसरपंच प्रकाश प्रधान, नरेश राठिया, गौरहारी, फडिंन्द्र प्रधान, रोहित गुप्ता और अन्य ग्रामीणों ने कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया। सामूहिक प्रयासों से कुछ ही घंटों में मलबा हटाकर मार्ग को यातायात के लिए खोल दिया गया।

इस पूरी घटना ने PWD विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह स्वागत गेट वर्षों से उपेक्षित था, कभी मरम्मत तक नहीं हुई। लाखों की लागत से बना यह गेट एक झोंके में गिर गया — यह क्या विभागीय गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर सवाल नहीं खड़े करता?
गौरतलब है कि यह मार्ग छत्तीसगढ़ और ओड़िशा के बीच का महत्वपूर्ण संपर्क बिंदु है। ऐसे में इस प्रकार की लापरवाही से न केवल आवाजाही बाधित होती है, बल्कि जान-माल का खतरा भी बना रहता है।
स्थानीय लोग PWD से पूछना चाहते हैं —
“क्या विभाग को गेट की स्थिति का अंदाजा नहीं था?”
“अगर दुर्घटना के वक्त वहां कोई वाहन होता तो क्या होता?”
“अब जब गेट गिर चुका है, तब भी विभाग की चुप्पी क्यों?”
इस हादसे ने यह तो साफ कर दिया कि सरकारी मशीनरी जब असफल हो जाती है, तब जिम्मेदार नागरिक और कर्मठ अधिकारी ही असली उम्मीद की किरण बनते हैं। श्री आशीष बारीक जैसे अधिकारियों की तत्परता और समाजसेवियों की जागरूकता ही समाज को आपदा में भी सुरक्षित रखती है।


EDITOR VS KHABAR